1984 सिख विरोधी दंगे: सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में सरेंडर किया, सलाखों के पीछे पहुंचा



सिख विरोधी दंगा मामले में दोषी पूर्व सांसद सज्जन कुमार ने कड़कड़डूमा कोर्ट में आत्मसमर्पण कर दिया। हाईकोर्ट ने 17 दिसंबर को दंगा पीड़ितों की अपील का निपटारा करते हुए सज्जन कुमार को हत्या, वैमनस्य फैलाने, आगजनी और धार्मिक स्थलों को नुकसान पहुंचाने की साजिश का दोषी ठहराते हुए ताउम्र जेल की सजा सुनाई थी।
 











सज्जन कुमार के वकीलों ने बताया कि उन्हें मंडोली जेल भेजा जाएगा। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा के मद्देनजर उन्हें ले जाने के लिए अलग से गाड़ी का इंतजाम किया जाए।
  












हालांकि घर से कोर्ट के लिए निकलने के कई घंटों तक उनका कोई पता नहीं था लेकिन करीब 2 बजे वह अदालत पहुंच गए। सज्जन के गायब होने के बारे में जब उनके बेटे से पूछा गया था तो उन्होंने कहा था कि मुझे इस बारे में नहीं मालूम है। 
दो दोषियों ने किया सरेंडर
इस बीच दो अन्य दोषी कड़कड़डूमा अदालत पहुंचकर आत्मसमर्पण कर चुके थे। अदालत ने सज्जन कुमार के साथ ही कांग्रेस के पूर्व विधायक महेंद्र यादव और किशन खोखर नाम को भी आज सरेंडर करने के लिए कहा था। कोर्ट ने महेंद्र यादव को उसकी छड़ी और चश्मा अपने साथ ले जाने की इजाजत दे दी।
सज्जन कुमार को 31 दिसंबर तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया था। उन्होंने इसके लिए मोहलत मांगी, लेकिन कोर्ट ने इनकार कर दिया था। उनके वकील अनिल कुमार शर्मा का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में 1 जनवरी तक शीतकालीन अवकाश है। लिहाजा कुमार की याचिका पर उससे पहले सुनवाई की संभावना नहीं है।
गौरतलब हो 1984 सिख विरोधी दंगा मामले में दिल्ली हाईकोर्ट ने बड़ा फैसला दिया था। अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को यदि ध्यान से देखा जाए तो साफ पता चलता है कि कांग्रेस नेता सज्जन कुमार ने दंगों में अपनी भूमिका का निर्वाह नहीं किया था जबकि वे हिंसा पर उतारू भीड़ का समझा बुझा सकते थे।
लेकिन उस दौरान उन्होंने ऐसा नहीं किया। अदालत ने अपनी इस टिप्पणी के साथ निचली अदालत के फैसले को पलट दिया और उम्रकैद की सजा सुना दी। इससे पहले कांग्रेस के पूर्व नेता सज्जन कुमार को सिख दंगा मामले में राहत नहीं मिली थी।

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